Tuesday, August 26, 2025

गणेश चतुर्थी पर विशेष

 आप सभी को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं भगवान गणेश आप सभी भक्त गणों के जीवन में सुख शांति और समृद्धि लाए यही मेरी उनसे प्रार्थना हैं।

यह लेख लिखने का उद्देश्य है अपने विचार को आप सभी से साझा करना इसको लिखने से पहले में सभी से अनुरोध करुँगी की जो मैं लिख रही हूँ उसके पीछे का उद्देश्य देखिए बात को समझिए फिर किसी भी निष्कर्ष पर पहुंच कर प्रतिक्रिया दीजिएगा। मैं न तो नास्तिक हूँ न ईश्वर विरोधी हूँ बस मन में विचार आया तो सबसे पहले आप सभी नज़र में आए विचारों को साझा करने के लिए।

आज के समय में हम सभी एक दूसरे के पीछे आंखें बंद करके चल रहे है शायद हमे लगता है कि अगर हम रुक कर सोचेंगे और समझेंगे तो देर न हो जाये और कहीं किसी दौड़ में पीछे न रह जाये पर मेरा यकीन करिए की अगर हम अपनी बुद्धि और विवेक का प्रयोग कर कोई भी कार्य करेंगे तो न तो पीछे रहेंगे और न ही दौड़ से बाहर होंगे।

पिछले कुछ वर्षों से गणेश चतुर्थी का त्योहार हम सभी मिलकर सभी जगह मानते है और यह अच्छी बात है पर उसको मनाने के लिए हम दूसरों की नकल क्यों करते है यह मेरे समझ से परे हैं। हम सभी गणेश भगवान की उपासना, व्रत, भोग, साँस्कृतिक कार्यक्रम करें अच्छी बात भंडारा भी करें पर यह विसर्जन कैसा और क्यों? यह कभी आप सभी ने सोचा है। एक बात बताइए कि क्या हमारी परम्परा में विसर्जन लिखा है कहीं पर फिर किसी दूसरे जगह की नकल क्यों करना? और हमारे समझ से विसर्जन का कोई प्रावधान हमारी हिन्दू संस्कृति में नहीं है हम तो मूर्ति खण्डित होने पर विसर्जन करते है या नयी लाने पर पुरानी मूर्ति का विसर्जन होता है अब तो प्रदूषण के चलते और नदियों के गंदा होने के कारण बंद हो गया है अब तो भू विसर्जन होने लगा है।

फिर हम उत्तर भारतीय हिन्दू गणेश विसर्जन क्यों करते हैं? एक बात बताइए क्या हमारे मेहमान है गणेश जी जिनका विसर्जन हो कर जाना जरूरी है नहीं न फिर क्यों? अगर विसर्जन करते है तो दिवाली पर वापस पूजते क्यों हैं? क्योंकि हम तो उनका विसर्जन कर आए फिर स्वागत तो किया नहीं और आगमन हुआ नहीं तो पूजन कैसे? हम सभी विसर्जन के समय कह कर आते है अगले बरस तू जल्दी आना फिर दिवाली पर कैसे आ गए पूजन में? कभी सोचा आप सभी ने। अब आप कहेंगे कि उनकी तो पूजा सर्वप्रथम होनी ही हैं, तो फिर विसर्जन क्यों करा? 

किसी भी जगह की देखा देखी कुछ करना कहाँ तक सही है सोचना चाहिए पहले लोग कहतें थे नकल के लिए अक्ल चाहिए ऐसा थोड़े है कि आँख बंद की सोच समझ ताक पर रख बस करने लगे।

आप सभी जानते होंगे कि गणेश जी महाराष्ट्र घूमने के लिए साल में एक बार जाते है इसके पीछे की कहानी सभी को मालूम है ( यहां यह भी बताना चाहूँगी की बालगंगाधर तिलक ने गणेशचतुर्थी को उत्सव के रूप में मनाने की घोषणा पुणे से की थीं कि जिससे लोग इस बहाने आपस में मिल कर देश की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ तैयारी कर सके और अंग्रेजों को खबर भी न लग पाए) गणेश जी तो कुछ समय के लिए वहाँ मेहमान बन कर जाते है तो उन को वापस तो आना होगा इसीलिए उन्हें वहाँ विसर्जित करते है यह बोल कर अगले साल जल्दी आना जैसे हम अपने यहां आए मेहमान से कहतें है अगली बार जल्दी मिलने आना और गणेश जी का तो यहां अपना घर है फिर वहाँ उनका विसर्जन क्यों? गणेश जी का अपना स्थान है साल भार हर तीज त्योहार में उनकी ही पूजा करनी होती है फिर उनको हम विसर्जित कैसे कर सकते हैं? इसलिए भेड़चाल में चलिए पर आँख ,कान, बुद्धि को खुला रखिए।

कृपया गणेश जी को लाइये उन को घर जरूर लाइये सब कुछ करिए पर उनका विसर्जन नहीं करिए उनको उनके घर से विसर्जित न करिए बस इतना ही आपसे अनुरोध हैं साथ मेरी कोई बात गलत लगी हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ। किसी भी वर्ग व्यक्ति की भावना को ठेस पहुंचाना मेरा उद्देश्य नहीं हैं। गणपति महाराज की जय ।

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