रिद्धि - सिद्धि के संग विराजे,
विघ्न विनाशक, मंगल बाजे ।
सुख-समृद्धि के द्वार हैं खोलते,
भक्तों के सब कष्ट है हरते।
मोदक जिनको अति प्रिय लगते,
करुणा बरसाएँ सब उनको भजते ।
लाल सिंदूरी श्याम है स्वरूप,
ज्ञान, प्रकाश,भक्ति का है रूप।
जहाँ भी गजानन नाम पुकारा,
वहाँ न रुके कोई काम हमारा।
आओ मिलकर शीश झुकाएँ,
गणपति को हम हृदय में बसाएँ।
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