Friday, August 1, 2025

तुम और मैं

 तुम गलत मैं सही थीं 

तुम झूठे मैं सच्ची थीं


प्यार तुम्हारा झूठा और मेरा सच्चा था,

वादें तुम्हारे झूठे और मेरे सच्चे थे,

तुम्हारे कसमें वादे सब धोखा था,

तुम्हारी हर बात में छलावा था।


क्यों आए थे जब तुम झूठ ही थे तो,

आए थे प्यार देने और नफ़रत भर कर गए हो, 

तुम्हारी मुस्कान में चाल छुपी थीं,

तुम्हारी हर बात झूठी थीं।


अब तो नफ़रत का भी रिश्ता नही है तुमसे,

भूल चुकी हूं अब तुमको पूरी तरह से,

याद है भरोसा किया खुद से ज्यादा तुम पर,

पहली बार धड़कने तेज हुई थी तुम्हारे करीब आने पर।


अपना मान कर इश्क ए इज़हार किया था,

रूह के हर हिस्से से तुमसे ही प्यार किया था,

ऐसा छोड़ा की संभाल भी ना पाए खुद को,

बिखरे ऐसे की संवर भी ना पाए कभी हम।


मैंने तो हर रोज़ दुआओं में तुझे मांगा,

तेरे बिना खुद को अधूरा समझा,

पर तूने क्या किया,

मुझे ही मेरी मोहब्बत से जुदा किया।


तुम गलत मैं सही थीं

तुम झूठे मैं सच्ची थीं।।

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