दीप्ति जो कि स्वभाव से शांत, सहनशील और समझदार थी वही अखिलेश उसके बिल्कुल विपरीत स्वभाव में उछरंकल, महत्वाकांक्षी था।
दीप्ति दिन भर अपना समय घर के कामों और उसके बाद के समय को कहानी, उपन्यासों को पढ़ने में बिताती थीं। अखिलेश को सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाने और नौकरी के साथ अपना खुद का काम करने की धुन सवार रहती थीं।
अखिलेश अपने पैसे और काम के चक्कर में दीप्ति को अनदेखा करता चला आ रहा था उसको इसका एहसास भी नहीं था कि दीप्ति उसके इस व्यवहार से अकेलेपन का शिकार हो रही हैं वहीं दूसरी ओर दीप्ति खुद को अकेलेपन से बचाने के लिये किताबों में खोती जा रही थीं।
अखिलेश के इस स्वभाव से दोनों में दूरियां बढती जा रहीं थीं।
ऐसा नहीं कि दीप्ति ने इन चौदह सालों में कभी इस आयी दूरी को कम करने की कोशिश न की हो। शादी के शुरूआती सालों में दीप्ति ने बहुत कोशिश की पर अखिलेश के स्वभाव और बातों ने उसे बहुत आहत किया। अखिलेश से जब भी दीप्ति अपने लिए समय मांगती या कहीं साथ चलने के लिए कहती तो अखिलेश का यही जवाब आता कि थोड़ा समझदार बनो यह बातचीत,घूमना फिरना, एक दूसरे को समझना और एक दूसरे के साथ समय बिताने के लिए पूरी जिंदगी पड़ी हैं अभी वक़्त है सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने का। दीप्ति जब भी कहती तुम्हें नहीं लगता हममे काफ़ी दूरियां हैं तो अखिलेश का जवाब होता घर में खाली बैठीं रहती हो किस्सा कहानी पढ़ती रहती हो इसी लिए ये सब बातें तुम्हारे दिमाग में चलती है। अखिलेश का मानना था '' वक़्त से तेज चलो तभी जीतोगे''। "टाइम इज मनी"।
धीरे- धीरे दीप्ति अखिलेश से दूर हो गई उसने खुद को किताबों में कैद कर लिया समय के साथ अपने को व्यस्त करने के लिए एक स्कूल में नौकरी कर ली। अब दीप्ति भी खुद में व्यस्त हो गई अब उस पर अखिलेश के व्यवहार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। समय गुजर रहा था इसी बीच ऐसे कई मौके आते और जाते गए जब दोनों में बहस होती और बातचीत बंद हो जाती इस सिलसिले की वजह से दोनों में बातचीत कम हो गई अब घर के काम या रिश्तेदारों के यहां आने जाने के विषय में दोनों के बीच बात होती और कभी कभार उसका अंत भी बहस या लड़ाई पर होता।
इधर अचानक ही अखिलेश की कुछ तबीयत खराब रहने लगी पर उसे पैसा कमाने की ऐसी धुन सवार थीं कि उसने अपनी सेहत की अनदेखा करना शुरू कर दिया। कहतें है ना कि waqt की मार बहुत बुरी होती हैं एक दिन अचानक अखिलेश ऑफिस में बेहोश हो गया आनन-फानन में emergency में पास के हॉस्पिटल ले जाया गया। दीप्ति को भी स्कूल में सूचना मिली कि अखिलेश हॉस्पिटल में है वह भी झट से हॉस्पिटल पहुंची तब तक अखिलेश को होश नहीं आया था तभी अखिलेश के ऑफिस के साथी से मुलाकात हुई दीप्ति की जिससे पता चला कि अखिलेश पिछले एक महीने से बहुत परेशान चल रहे थे क्योंकि अखिलेश को ऊपर से ऑर्डर आए थे कि अगर वह अपना काम सही से नहीं और समय पर नहीं देंगे तो उन्हें हटा दिया जाएगा और पिछले 6 महीने पहले अखिलेश जिस कंपनी में काम करते है उसको घाटा हो गया जिसकी वजह से बहुत से लोगों को काम से निकाल दिया गया था। अखिलेश को नौकरी जाने का बहुत अधिक डर था और वह अपना जो खुद का काम शुरू किया था उसको भी समय नहीं दे पा रहा था और उसके दोस्त ने बताया कि अक्सर उसके सर में दर्द रहता था हम लोगों ने कई बार कहा डॉक्टर को दिखा दो पर वह कहता अभी वक़्त नहीं है जब होगा तब दिखा देगा ऐसी कोई दिक्कत उसे है नहीं और वह दर्द की दवा खा कर काम में लगा रहता। दीप्ति यह सब सुन अचंभे में थी कि उसे यह सब कैसे नहीं पता लगा क्या वह वाकई वह अखिलेश से दूर हो गई या अपने में इतनी मशगूल हो गई कि आस-पास की खबर उसे रही नहीं।
तभी अखिलेश को होश आता है और वह अपने को हॉस्पिटल के बिस्तर पर और चारों तरफ खुद को लोगों से घिरा पाता है उस समय अखिलेश कुछ भी बोलने उचित नहीं समझता वह यह अब तक दीप्ति के चेहरे से अंदाजा लगा चुका था कि पिछले दिनों की सारी जानकारी दीप्ति को हो चुकी हैं तभी डॉक्टर आते है और कुछ जाँचें करने के बाद अखिलेश को आराम करने और सभी को बाहर जाने को कहते हैं। सभी बाहर चले जाते हैं अखिलेश मन ही मन आशंकित होता है कि उसको क्या हुआ है उधर डॉक्टर बाहर निकालते ही दीप्ति से कहता है इनका बी पी बहुत हाई था यह दवा समय पर नहीं लेते क्या दीप्ति ने कहा पर इनको बीपी की कोई समस्या नहीं रहती यह कोई दवा बीपी की नहीं लेते। डॉक्टर ने कहा पर बीपी की दवा अब रेगुलर लेनी पड़ेगी और इन्हें माइनर हार्ट अटैक आया था इसलिए लिए अब इन्हें अपनी सेहत का बहुत ध्यान रखने की जरूरत है और अभी तो यह बेड रेस्ट पर रहेंगे।
दीप्ति डॉक्टर की बातें सुनकर घबरा गई तो डॉक्टर ने समझाते हुए कहा घबराने की जरूरत नहीं है अभी कोई खतरा नहीं है पर आगे के लिए सतर्क और ध्यान रखने की जरूरत है और अभी तो सिर्फ आराम की जरूरत है।
दीप्ति डॉक्टर की बात सुन कर इस सोच में थीं कि अब वह अखिलेश को कैसे समझायेगी उसके लिए तो पैसा और नौकरी सबसे पहले है वह कैसे आराम करेगा खुद को कैसे समझायेगा दीप्ति खुद से सवाल कर उधेड़बुन मे लगी हुई थी।
कुछ देर बाद दीप्ति अखिलेश के कमरे में जाती है अखिलेश खिड़की के बाहर शून्य की ओर देख रहा था दीप्ति के कमरे में आने के बाद अखिलेश की तन्द्रा टूटी वह दीप्ति की ओर देख कर नज़रे झुका लेता है। दीप्ति अखिलेश के करीब बैठ कर उसका हाथ अपने हाथों में लेती है और कहती हैं आप बिल्कुल परेशान न होइए आप बिल्कुल ठीक है डॉक्टर ने बोला कोई परेशानी की बात नहीं बस कुछ दिन आराम की जरूरत है पर डॉक्टर ने एक बात कहीं हैं शायद आप सुन कर थोड़ा परेशान होंगें अखिलेश दीप्ति की ओर देखते हुए प्रश्न भरी नजरों से दीप्ति ने आगे कहा उन्होंने कहा अब कुछ दिन घर में रह कर घर के काम में बीवी का हाथ बताना पड़ेगा और उससे ढ़ेर सारी बातें करनी पड़ेगी और सुननी भी पड़ेगी यह कह कर दीप्ति अखिलेश की ओर देख कर हँस दी और उसकी यह बात सुन कर अखिलेश का चेहरा भी खिल गया जो अभी तक मुरझाया हुआ था।
अभी तक जो परेशानी अखिलेश को दीप्ति के चेहरे पर दिख रही थी वह अब गायब थी उसका चेहरा आत्मविश्वास से भरा हुआ था और अखिलेश भी मन ही मन यह विचार कर रहा था कि वक्त बहुत बलवान है पूरे जीवन मैं उसके आगे भागता रहा और अपनी पत्नी को इंतजार कराया आज उसी वक्त ने ऐसी मार मारी की अब वही पत्नी मेरी साथी है और वक्त तेजी से आगे भाग रहा हैं।
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