Monday, April 5, 2021

जेंडर इक्वालिटी

 

जेंडर इक्वालिटी की बात तो करते
कभी जिंदगी में इक्वल हुई है औरत

किचन में जाते समय मां ने बेटी से
नहीं बेटे से कहा हो
चल बेटा आज तू मेरे साथ लग कर खाना लगवा दे न
क्या कभी यूं भी हुआ हो जब
किसी के आने पर मां ने बेटी की जगह बेटे से कहा हो चाय बनाने को।।

जेंडर इक्वालिटी की बात तो करते है
कभी जिंदगी में इक्वल हुई है औरत

बचपन में कभी पापा ने अपने बेटे की जगह बेटी को
सिलेंडर उठाने के लिए बुलाया है
कभी यूं भी हुआ हो पापा ने किसी इमरजेंसी पर बेटे की जगह बेटी को बुलाया हो।।

जेंडर इक्वालिटी की बात तो करते है
कभी जिंदगी में इक्वल हुई है औरत

कभी यूं भी हुआ हो जब बाबा – दादी को पोते से ज्यादा पोती पर नाज हुआ हो
ऐसा भी कभी हुआ हो जब बाबा – दादी कहे मेरी तो पोती मेरा नाम रोशन करेगी।।

जेंडर इक्वालिटी की बात तो करते हो
कभी जिंदगी में इक्वल हुई है औरत

औरत पूरा जीवन संघर्ष करती है
फिर भी कोमल कहा जाता है
शारीरिक बदवालों के साथ रोज खुद को संभालते हुए संघर्ष
फिर भी कमज़ोर कहा जाता।।

जेंडर इक्वालिटी की बात तो करते हो
कभी जिंदगी में इक्वल हुई है औरत

ईश्वर ने भी भेदभाव ही किया औरत के साथ
शारीरिक संरचना हो या बच्चा पैदा करना
यह काम सिर्फ औरत को दिया पुरुष को नही
फिर भी समाज अबला कहता है।।

जेंडर इक्वालिटी की बात करते हो
कभी जिंदगी में इक्वल हुई है औरत

संघर्षों भरे जीवन के बाद
घर को संभालना उसे घर बनाना
ये भी एक औरत ही करती है
कभी किसी ने पुरुष से अपेक्षा की है क्या?

जेंडर इक्वालिटी की बात करते हो
कभी जिंदगी में इक्वल हुई है औरत।

डॉ सोनिका शर्मा




शादी के बाद कभी ऐसा हुआ है
जब ऑफिस से थकी घर लौटी हो
और सास ने बहू की जगह बेटे से कोई काम की उम्मीद की हो
पूरी जिंदगी भेदभाव ही होता आया
और फिर भी जेंडर इक्वालिटी की बात हम करते हैं
कभी जिंदगी में इक्वल हुई है औरत।।


1 comment:

  1. me bhi writer ban na chahta hu. mene kai kahaniya likhi hai. lekin muje lagta hai ki muje aur bhi kuchh sikhne ki jarurat hai.

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