Thursday, July 17, 2025

अब लगता है उम्र हो रही हैं

 अब लगता है उम्र हो रहीं हैं 

चेहरे से नहीं 

बालों से नहीं 

इस लिए भी नहीं की भर रहा हैं शरीर 

ऐसा नहीं कि यह सब आइना दिखा या बता रहा है 

इस लिए कि अब फर्क़ पड़ना बंद हो गया 

कि कोई क्या सोचता है कोई क्या बोलता है पीठ पीछे 

अब जो नहीं समझ आता उससे दूरी बना लेती हूँ 


अब लगता है उम्र हो रही है 

खुद को प्राथमिकता देती हूँ 

खुद की खुशियाँ खुद का सूकून पहले चुनती हूँ 

चुप रहती हूँ,  मुस्करा देती हूँ और जहां कोई गलत हो उसे सुधारती भी नहीं 

अब किसी से कोई बहस नहीं करती 

थोड़ी स्वार्थी हो गई हूँ 


अब लगता है उम्र हो रही है 

अब तो तुम रूठे हम छूटे की सोच बना ली है 

किसी के पीछे भागने और मनाने से अलग हो गई हूँ 

कोई दूरी बनाए मुझसे तो अब अखरता नहीं 

खुशी- खुशी खुद को मुक्त पाती हूँ 


अब लगता है उम्र हो रही हैं 

मौन भाता है 

सुनना और सुनाना अब पसंद नहीं 

भावनाओं को बिना बोले समझने लगी हूँ 

इंसान को पहचानने लगी हूँ 

परखना अब जरूरी नहीं है 

खुद को ढूंढने लगी हूँ 

खुद की इच्छा को वरीयता देने लगी हूँ 


अब लगता है उम्र हो रही हैं 

कोई मिले तो अच्छा कोई ना मिले तो अच्छा 

गिने चुने लोगों को अपनाती हूँ 

पुराने के पीछे भागती नहीं नए को अपनाती नहीं 

अपने पर अपना वर्चस्व समझती हूँ

किसी के हाथों में खुद के खुशियाँ की डोर नहीं देती 

अब कुछ बुरा होना आशंकित नहीं करता 

अच्छा होने का इंतजार नहीं करती 


अब लगता है उम्र हो रही है 

खुद को खुद ही खुश कर लेती 

किसी के इंतजार में नहीं बैठती 

खुद को जो चाहिए खुद ही ले लेती 

अब किसी के देने का इंतजार नहीं करती 

अब लगता है उम्र हो रही 

बदलाव हो रहे हैं 

ठहराव आ रहा हैं 


अब लगता है उम्र हो रही है 

आइना नहीं बता रहा 

पर सब बदल रहा है 

अब लगता है उम्र हो रही है।।

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