अब लगता है उम्र हो रहीं हैं
चेहरे से नहीं
बालों से नहीं
इस लिए भी नहीं की भर रहा हैं शरीर
ऐसा नहीं कि यह सब आइना दिखा या बता रहा है
इस लिए कि अब फर्क़ पड़ना बंद हो गया
कि कोई क्या सोचता है कोई क्या बोलता है पीठ पीछे
अब जो नहीं समझ आता उससे दूरी बना लेती हूँ
अब लगता है उम्र हो रही है
खुद को प्राथमिकता देती हूँ
खुद की खुशियाँ खुद का सूकून पहले चुनती हूँ
चुप रहती हूँ, मुस्करा देती हूँ और जहां कोई गलत हो उसे सुधारती भी नहीं
अब किसी से कोई बहस नहीं करती
थोड़ी स्वार्थी हो गई हूँ
अब लगता है उम्र हो रही है
अब तो तुम रूठे हम छूटे की सोच बना ली है
किसी के पीछे भागने और मनाने से अलग हो गई हूँ
कोई दूरी बनाए मुझसे तो अब अखरता नहीं
खुशी- खुशी खुद को मुक्त पाती हूँ
अब लगता है उम्र हो रही हैं
मौन भाता है
सुनना और सुनाना अब पसंद नहीं
भावनाओं को बिना बोले समझने लगी हूँ
इंसान को पहचानने लगी हूँ
परखना अब जरूरी नहीं है
खुद को ढूंढने लगी हूँ
खुद की इच्छा को वरीयता देने लगी हूँ
अब लगता है उम्र हो रही हैं
कोई मिले तो अच्छा कोई ना मिले तो अच्छा
गिने चुने लोगों को अपनाती हूँ
पुराने के पीछे भागती नहीं नए को अपनाती नहीं
अपने पर अपना वर्चस्व समझती हूँ
किसी के हाथों में खुद के खुशियाँ की डोर नहीं देती
अब कुछ बुरा होना आशंकित नहीं करता
अच्छा होने का इंतजार नहीं करती
अब लगता है उम्र हो रही है
खुद को खुद ही खुश कर लेती
किसी के इंतजार में नहीं बैठती
खुद को जो चाहिए खुद ही ले लेती
अब किसी के देने का इंतजार नहीं करती
अब लगता है उम्र हो रही
बदलाव हो रहे हैं
ठहराव आ रहा हैं
अब लगता है उम्र हो रही है
आइना नहीं बता रहा
पर सब बदल रहा है
अब लगता है उम्र हो रही है।।
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