Saturday, September 5, 2020

औरत का अपना घर नहीं होता

 

मां तुम कहती थीं
एक दिन तेरा अपना घर होगा
जहां तेरा अपना सब कुछ होगा
उसे छोड़ कभी जाना न होगा
पर मां तुमने यह बात नहीं बताया कभी
कि तुम सिर्फ बहलाया करती थी तब भी
औरत का कोई अपना घर होता नहीं कभी
इतनी सी बात मां तूने समझाई क्यों नहीं कभी।।

मां तुम कहती थीं
अपने घर में राज करना
अपने घर में जा मनमानी करना
अपने सपनों का घर बनाना
पर मां तुमने यह बात नहीं बताया कभी
कि तुम सिर्फ बहलाया करती थी तब भी
औरत का कोई अपना घर होता नहीं कभी
इतनी सी बात मां तूने समझाई क्यों नहीं कभी

मां तुम कहती थीं
बेटी तो पिता के लिए पराई
बहू है तो पराए घर से है आई
औरत तो हमेशा से रही पराई
पर मां तुमने यह बात नहीं बताया कभी
कि तुम सिर्फ बहलाया करती थी तब भी
औरत का कोई अपना घर होता नहीं कभी
इतनी सी बात मां तूने समझाई क्यों नहीं कभी।।

भगवान ने भी क्या किस्मत है बनाई
घर तो दो दिए पर नज़रों में दोनों के पराई
पिता का बोझ तो पति की जिम्मेदारी हुई
पर मां तुमने यह बात नहीं बताया कभी
कि तुम सिर्फ बहलाया करती थी तब भी
औरत का कोई अपना घर होता नहीं कभी
इतनी सी बात मां तूने समझाई क्यों नहीं कभी।।

डॉ सोनिका शर्मा


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