Thursday, November 26, 2020

पोता ही चाहिए

 

स्मिता को जब से पता चला है कि वह मां बनने वाली है तब से स्मिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। स्मिता और अनुज की शादी को 3 साल हो गए थे शादी के शुरुआत में दोनों ने बच्चे के लिए ज्यादा सोचा नहीं और जैसे ही शादी को 2 साल होने को आया सबने स्मिता को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाने की नसीहत दे डाली।
स्मिता ने भी सभी घर वालों की बात चुपचाप सुन ली उन लोगों को कभी यह नहीं कहा कि अभी अनुज और वह बच्चा करना नहीं चाहते थे घर का दबाव ज्यादा पड़ने लगा। जिसे देखकर दोनों ने बच्चा प्लान करने का सोचा और करीब 6 महीने बाद स्मिता प्रेगनेंट हो गई।
स्मिता और अनुज को जब यह खबर मिली तो दोनों ही बहुत खुश थे खुश होना लाजमी भी था क्योंकि दोनों का यह पहला बच्चा था आजकल हर मां बाप के लिए अपने बच्चे के होने मैं एक अलग ही खुशी होती आजकल लोगों के होते भी है एक यह बहुत ज्यादा दो बच्चे। स्मिता अपनी प्रेगनेंसी को अभी इंजॉय करना शुरू ही कर रही थी कि अचानक स्मिता की सास कहती हैं हमारे एक गुरु जी हैं तुम दोनों समय निकालकर एक बार उनके दर्शन कर लो वह कुछ उपाय बताएंगे उसे कर लेना स्मिता को लगा बड़ी है अनुज की मां है उनकी कही हुई बात को क्यों काटना कह रही हैं तो कर लेते हैं उसने पूछा मां कब चलना है गुरुजी के पास मां ने कहा अलग से बात कर लो जब वह कहे तब चलते हैं स्मिता ने फिर पूछा मां इन गुरुजी के पास हम इसीलिए जा रहे हैं ना कि जो हमारा होने वाला बच्चा है वह स्वस्थ हो इस बात को सुनकर स्मिता की सास थोड़ा सक पका गईं। पहले तो कहने लगी हां फिर बोली नहीं मैं चाहती हूं कि तुम दोनों का पहला बच्चा बेटा ही हो क्योंकि पता नहीं तुम दोनों दूसरा बच्चा करोगे भी या नहीं इसलिए मुझे पहले ही बच्चे में अपने पोते का मुंह देखना है पता नहीं तुम दोनों लोग दूसरा बच्चा करोगे या कब तक करोगे इसके लिए मैं पूरी जिंदगी तो बैठी नहीं रहूंगी मेरी भी उम्र होने को आई। अपनी सास के मुंह से इस तरह पोता पोती के भेदभाव की बात को सुनकर स्मिता थोड़ा हैरान हुई क्योंकि उसकी सास भी काफी पढ़ी लिखी थी जॉब करती थी और उनके अंदर इस तरह का भेदभाव उसके समझ के परे था और अनुज की भी एक बड़ी बहन थी और एक छोटी बहन। स्मिता को उनकी यह बात सुनकर बुरा भी लगा पर उसने कोई जवाब ना दे कर उसी दिन शाम को अनुज से उसकी मां के बारे में बात की और यह भी बताया कि वह चाहती हैं हम दोनों गुरु जी से मिलने जाएं जिससे वह हमें कोई उपाय बताएं और हम दोनों को हमारा पहला बेबी बेटा हो। अनुज को भी सुनकर थोड़ी हैरानी हुई क्योंकि इस तरह के विचार उसकी मां के अभी तक कभी नहीं थे। उनकी खुद की पहली संतान बेटी दूसरा बेटा और तीसरी बेटी थी फिर वह अपनी बहू पर बेटा पैदा करने का दबाव कैसे बना सकती थी अनुज को स्मिता की बात पर विश्वास नहीं हुआ अनुज ने स्मिता से कहा हो सकता है तुमने मां की बात का कुछ अलग मतलब समझ लिया हो मां हम दोनों के होने वाले बेबी को ब्लेसिंग्स दिलवाना चाहती होंगी गुरु जी से। स्मिता ने फिर कहा शुरू में मुझे भी यही लगा था पर जब मैंने मां से पूछा कि वहां हम अपने बच्चे के ब्लेसिंग्स के लिए जा रहे हैं तो मां ने कहा नहीं मैं चाहती हूं कि तुम दोनों का पहला बच्चा बेटा ही हो जिससे मैं अपने पोते का मुंह देख सकूं।
स्मिता की बातों को सुन अनुज और हैरान हो गया उसने कहा ठीक है तुम परेशान मत हो मैं मां से बात करूंगा तुम बिल्कुल भी टेंशन मत लो और अपने इस प्रेगनेंसी पीरियड को बहुत अच्छे से खुशी के साथ एंजॉय करो।
बात आयी गई हो गई शायद अनुज ने मां से बात नहीं की उधर मां आए दिन पोते की चाह में स्मिता को कभी कुछ देसी चीज खिलाती कभी कुछ उपाय कराती स्मिता को लगा अनुज ने बात कर ली है और वह सिर्फ इसलिए यह सब कर रही है कि हमारा पहला बच्चा है तो स्वस्थ हो। स्मिता को छह महीने हो गए अब उसका अल्ट्रासोनोग्राफी होनी थी इस बार अनुज शहर से बाहर था इसलिए स्मिता को अकेले ही जाना था तभी उसकी सास ने स्मिता से कहा मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूं अकेले क्यों जाना अनुज भी है नहीं वह होता तो में निश्चिंत रहती। स्मिता को उन्हें साथ ले जाने मैं कोई बुराई नहीं लगी और वह राज़ी हो गई तय डेट पर दोनों डायागोनॉस्टिक सेंटर पहुंच गए और अपने बारी का इंतजार करने लगे जब स्मिता का नंबर आया तो वह अपना समान सास को पकड़ा अंदर जाने को हुई तो सास ने कहा मैं भी अंदर ही चल रही हूं तुम्हारे साथ यह सुन स्मिता को ठीक नहीं लगा पर वह वहां कुछ बोल ना सकी।
दोनों अन्दर जाते है स्मिता की अल्ट्रासोनोग्राफी होती है डॉक्टर स्मिता से पूछती है कोई प्रॉब्लम तो नहीं। स्मिता कहती है नहीं उसके बाद डॉक्टर उसका स्कैन करती है तभी स्मिता की सास कहती है डॉक्टर साहब बेटा कैसा है ये सुन स्मिता के चेहरे के रंग उड़ जाते है तो डॉक्टर कहती है अरे माता जी आप कैसे जानती की बेटा ही है, हो सकता हो बेटी हो पर जो भी है अभी उसका डेवलपमेंट ठीक चल रहा है। स्मिता की सास ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहा आप तो जानती ही है कि क्या है और मुझे पक्का विश्वास है कि बेटा ही है। डॉक्टर ने कहा देखिए मुझे नहीं जानना क्या है और यह मैं आपको बता भी नहीं सकती पर जो भी है ये तो पहला बच्चा है आपके घर का उसका खुशी से स्वागत करिए और ईश्वर से प्रार्थना करिए स्वस्थ हो और माताजी आज कल बेटा बेटी क्या होता है मैं भी बेटी ही हूं आप भी बेटी ही थी फिर क्या फर्क करना।
स्मिता अपनी सास की यह सब बातें सुन परेशान ही गई उसने वहीं सेंटर से अनुज को व्हाट्सएप किया कि क्या तुमने मम्मी से बच्चे के बारे में बात नहीं की। अनुज को समझ नहीं आया उसने पूछा किस बारे में स्मिता झुंझला गई और बिना रिप्लाइ किए अपनी रिपोर्ट ले कर घर आ अपने को कमरे में बंद कर लिया।
अनुज की मां अब तक समझ चुकी थी कि स्मिता को उसकी बातें बुरी लगी फिर भी उसने अपने बेटे को फोन कर पूछा अनुज तुझे कब तक वापस आना है अनुज ने कहा क्यों मां कुछ खास बात है क्या? मां ने कहा नहीं बस ऐसे ही पूछा तो अनुज बोला आना तो एक हफ्ते बाद था पर क्लाइंट ने प्रोग्राम कैंसल कर दिया इस लिए कल की फ्लाइट से वापस आ जाऊंगा। मां ने अनुज से पूछा क्या बेटा बहू से तेरी बात हुई वह आज मुझसे सुबह से बहस कर रही है उल्टे जवाब दे रही है उसके साथ डॉक्टर के पास चली गई तो बुरा मान कर अपना कमरा बंद करके बैठ गई है। अनुज अभी मेरी स्मिता से कोई बात नहीं हुई है लेकिन इस तरह का आपके साथ बिहेवियर सही नहीं है मैं उससे बात करता हूं तभी अनुज की मां ने उसे रोकते हुए कहती है नहीं बेटा उससे कुछ मत कहना वह मां बनने वाली है ना, तो थोड़ा परेशान रहती है एक लड़की जब मां बनती है तो उसके शरीर में बहुत सारे परिवर्तन आते हैं जिसकी वजह से परेशान रहती है उससे कुछ कहने की जरूरत नहीं है बस तुम उसका हालचाल ले लेना।
अनुज स्मिता को कॉल करता है पर वह गुस्से में उसका कॉल नहीं लेती कई बार के कॉल ना लेने पर अनुज मैसेज करता है कि वह कल वापस आ रहा हैं। मैसेज देखने के बाद भी स्मिता कोई जवाब नहीं देती हैं। अब तक स्मिता का गुस्सा सातवें आसमान पर था उसको लगता है अनुज भी अपनी मां के साथ मिल चुका है और उसे भी शायद बेटे की आकांक्षा है इसीलिए वह भी अपनी मां का साथ दे रहा है। दूसरी तरफ अनुज कॉल पर कॉल कर रहा था और स्मिता उसकी कोई कॉल नहीं ले रहीं थीं। स्मिता के इस व्यवहार से अनुज नाराज़ हो गया और स्मिता को कॉल करना बंद कर मैसेज किया कि जब गुस्सा शांत हो जाए तो कॉल कर लेना और अगर न हो शांत तो शांत कर लेना मैं कल आ रहा हूं।
स्मिता ने जब अनुज का मैसेज देखा तो उसे कॉल किया तब अनुज ने फोन उठाते ही पूछा क्यों मैडम गुस्सा शांत हो गया कि नहीं। तुम्हारा सही है प्रेग्नेंसी की आड़ में अपनी भड़ास निकाल लो और फिर बोलो कि मूड स्विंग्स थे। अनुज के मुंह से मूड स्विंगस की बात सुन स्मिता को अजीब लगा उसने तुरंत अनुज को रोका कि मैंने कब बोला कि मेरे प्रेग्नेंसी में मूड स्विग्स होते हैं। अनुज ने जवाब दिया मैडम हर बात कही जाए तभी समझ आए अरे हमने बिना कहे समझ लिया। स्मिता बोली अभी तक तो हुआ नहीं कि बिना कहे समझ लिया हो, बताओ तो तुम्हें कैसे मालूम प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग्स होते हैं। अनुज बोला अरे इतना क्यों परेशान हो रहीं हो मुझे तो मम्मी ने बताया कि प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग्स होते हैं।
स्मिता को अब थोड़ा - थोड़ा खेल समझ आने लगा उसने अनुज से बोला हां हो जाता है कभी ह कभी ऐसा। अनुज ने स्मिता को टोकते हुए पर ध्यान रखा करो कि इन सब में कोई हर्ट ना हों। स्मिता का दिमाग फिर चकराया हर्ट पर मैंने ती किसी को हर्ट नहीं किया। अनुज ने कहा तुम्हे पता नहीं चला पर अनजाने में तुमने मम्मी से बदतमीजी की आगे से ध्यान रखना और अभी मम्मी से सॉरी बोल देना। स्मिता ने कहा पर... अनुज बोला मम्मी बड़ी है बोल दोगी ती तुम छोटी नहीं हो जाओगी। स्मिता ने ठीक है कहा फिर उसने अनुज से पूछा क्या मम्मी कुछ कह रही थी क्या बहुत नाराज़ है मुझसे। अनुज बोला तुम मम्मी को जानती हो वह कभी कुछ कह सकती है तुम्हारे खिलाफ नहीं वह नाराज़ नहीं बस मुझे बता रही थी कि शायद उनका तुम्हारे साथ जाना तुम्हें पसंद नहीं आया इसलिए तुम उनसे नाराज़ हो उनकी बातों का जवाब नहीं दे रही थीं और गुस्से में रूम बंद करके बैठ गई हो। स्मिता ने आश्चर्य से पूछा यह सब मम्मी ने तुमसे कहा अनुज ने जवाब दिया हां इसी लिए तो इतने कॉल कर रहा था।
स्मिता अब तक काफी कुछ समझ चुकी थीं उसने अब कोई भी प्रतिक्रिया न देते हुए सामान्य व्यवहार करते हुए अनुज का इंतजार करने लगी दूसरे दिन अनुज को आने में देर रात हो गई उस दिन स्मिता ने कोई भी बात नहीं छेड़ी दूसरे दिन स्मिता ने नाश्ते के बाद सभी को एक साथ बैठा देख मौका पड़ते ही अनुज से कहा अब तो डिलीवरी में तीन महीने से भी कम बचे हैं बस सब अच्छे से हो मैं और मेरा बेटा सब अच्छे से हो जाएं। मैंने तो अपने बेटे का नाम भी सोच लिया ये सब सुन उसकी सास अचंभे में थीं कि जो कल तक लड़का लड़की में कोई अंतर नहीं मान रही थी आज अचानक लड़का लड़का रट क्यों लगाएं हैं पर मन ही मन खुश भी थीं कि शायद स्मिता को पता चल गया कि उसके बेटा ही होने वाला हैं। यह सब सुन कर अनुज बोला स्मिता तुम्हें क्या हो गया ये बेटा - बेटा क्या कर रही हो और क्यों ? अगर बेटी हुई तो भी हम उसे उतना ही प्यार करेंगे।
स्मिता ने अनुज को टोकते हुए पर मां को सिर्फ पोता ही चाहिए उस पर अनुज ने कहा तुम्हारा दिमाग खराब है मां की यह सोच नहीं है मैं अपनी मां को अच्छे से जानता हूं। स्मिता ने कहा पर मां ने प्रेग्नेंसी के शुरुवात में ही गुरु जी के पास चलने को बोला था इसलिए कि हमारे बेबी बॉय हो अगर मैं गलत हूं तो मां सामने है खुद ही पूछ लो। अनुज फिर भी मां से कुछ पूछने को राज़ी नहीं हुआ उसके बाद स्मिता ने कहा उसके बाद भी मां ने बहुत कुछ किया जिससे मुझे बेबी बॉय हो और कल तो डायग्नोस्टिक सेंटर में मां ने डॉक्टर से डायरेक्ट ही कहा कि मेरे बेबी बॉय है जिसे डॉक्टर ने यह बोल कर मां को समझाया कि आपकी बहू का पहला बच्चा है चाहे जो हो बस स्वस्थ हो और मां और बच्चा दोनों ठीक रहें।
इस बार अनुज मां की तरफ देखता है और मां शर्म से नज़रे नीचे कर लेती हैं क्योंकि उन्होंने कल स्मिता को लेकर कई झूठ बोले और पहले कई बार और भी बोल चुकी थीं।
अनुज ने अपनी मां की झुकी हुए नज़रे देख स्मिता से कहा जाओ तुम आराम करो अन्दर जा कर और हमें कोई फर्क नहीं पड़ता लड़का हो या लड़की। जो भी है हमारा बच्चा है और हमें जान से प्यारा हैं। इसके बाद स्मिता उठ कर अपने कमरे  में चली जाती है अनुज उठ कर बाहर बालकनी में फोन करने लग जाता है और बैठी रह जाती है उसकी मां जो अब तक समझ चुकी थी कि उनकी सभी बातें बेटे बहू के सामने खुल गई और सब कुछ जानते हुए भी बेटे ने उनसे ना तो कुछ पूछा और ना ही कुछ कहा यहां तक कि बहू को भी चुप करवा दिया।
अनुज की मां को अपनी हरकतों पर शर्म आती है पर फिर भी वह कुछ देर बाद अपने बेटे के पास अपनी सफाई देने जाती हैं और अनुज से कहती है कि बेटा अब तू बड़ा हो गया अपनी मर्ज़ी का मालिक हो गया है खुद फैसले करने लगा स्मिता की हर बात सुनने लगा और मां से पूछना भी जरूरी नहीं समझा। अनुज ने मां को अपने पास बैठाया और खुद मां के पैरों के पास बैठ मां के हांथो को अपने हाथो में ले कर समझाते हुए बोला मां आज जब स्मिता ने कहा और मैंने सुना तो सिर्फ इसलिए क्योंकि उस समय आप वहां पर गलत थी क्योंकि आपकी नज़रे झुकी हुई थी आपने गलत किया था और मैं सिर्फ और सिर्फ आपको गलत साबित न होने देने के लिए और सबके सामने बे इज्जत होने से बचाने के लिए चुप था। मां बेटा और बेटी में क्या फर्क समय बदल रहा है और आपको भी तो पहले दीदी ही हुई थी फिर आप ऐसा क्यों सोच रहे हो? अनुज की मां ने बीच में टोकते हुए मैंने कोई फर्क नहीं किया बस इसलिए पोते की रट लगाई कि पहले से ही शादी के तीन साल बाद बच्चा पैदा कर रहे हो दोनों फिर ना जाने दूसरा करो या ना करो तो कम से कम मैं पोते का मुंह देख लूं स्वर्ग चली जाऊं और मेरे तो एक ही बेटा है तो आस भी उसी से लगाऊंगी वंश बढ़ाने की। अनुज ने समझाते हुए कहा मां अब समय बदल रहा है बेटा और सिर्फ वंश बढ़ाता है बेटियां तो दो घरों का मान बढ़ाती हैं। आज बेटा और बेटी दोनों ही समान हैं। अच्छा मां एक बात बताओ कहां लिखा है कि पोते को देखोगी तो स्वर्ग जाओगी और पोती को देखोगी तो नरक जाओगी। पोता अगर नालायक निकला तो क्या वंश बढ़ेगा और क्या मान बढ़ेगा। पोती तो मान बढ़ाएगी ही बढ़ाएगी। मां अब पोता पोती भूल कर बस आने वाले नए मेहमान के स्वागत की तैयारी करो। चलो हम दोनों मिल कर स्मिता को सरप्राइज देते है और बच्चे का अच्छे से स्वागत करते हैं। अब जो हुआ सो हुआ उसे भूल जाओ और आगे का देखो और स्मिता की चिंता ना करना वह दिल की बहुत साफ है वह भी सब जल्दी ही भूल जाएगी। अनुज और उसकी मां तैयारी में लग जाते हैं।


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