मैं जैसी हूं अच्छी हूं
इस से अच्छा बनने की आस नहीं
मैं जैसी हूं खूबसूरत हूं
किसी और के जैसा बनने की आस नहीं
माना कि बन भी गई मैं बेहतरीन एक बार
तो क्या कुछ बदल जायेगा इस बार
चलो खुद को एक बार बदल कर देखा जाए
इन चेहरे की लकीरों को मिटा कर देखा जाए
इन बालों की चांदी को हटाया जाए
इन रूखे बालों को सुलझाया जाए
तो क्या बन जाऊंगी किसी के लिए
अच्छी से बेहतरीन
क्या वह यह सवरी सूरत देख सीरत न देखेगा
क्या चेहरे के रंगत के पीछे छुपे काले निशान न देखेगा
माना कि बदल जाऊं एक बार
चेहरे के रूखे पन को छुपा
होंठों को गुलाबी कर आऊं जो तेरे सामने
क्या इस खूबसूरती के पीछे धड़कते दिल को नहीं देखेगा
माना कि बदल जाऊं उसके लिए
पर कब तक
कभी न कभी तो रंग उतरेगा जरूर
तो
मैं जैसी हूं अच्छी हूं
इस से अच्छा बनने की आस नहीं
मैं जैसी हूं खूबसूरत हूं
किसी और के जैसा बनने की आस नहीं
जो मुझे ऐसे ही चाहेगा
जो मुझे प्यार ऐसे ही करेगा
कोई तो होगा जिसे बेहतरीन की तलाश नहीं होगी
कोई तो होगा जिसे सिर्फ और सिर्फ मेरी तलाश ही होगी
मैं जैसी हूं अच्छी हूं
इस से अच्छा बनने की आस नहीं
मैं जैसी हूं खूबसूरत हूं
किसी और के जैसा बनने की आस नहीं
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