Tuesday, September 2, 2025

मैं जैसी हूं अच्छी हूं

 मैं जैसी हूं अच्छी हूं 

इस से अच्छा बनने की आस नहीं

मैं जैसी हूं खूबसूरत हूं

किसी और के जैसा बनने की आस नहीं

माना कि बन भी गई मैं बेहतरीन एक बार

तो क्या कुछ बदल जायेगा इस बार

चलो खुद को एक बार बदल कर देखा जाए 

इन चेहरे की लकीरों को मिटा कर देखा जाए

इन बालों की चांदी को हटाया जाए

इन रूखे बालों को सुलझाया जाए

तो क्या बन जाऊंगी किसी के लिए

अच्छी से बेहतरीन 

क्या वह यह सवरी सूरत देख सीरत न देखेगा 

क्या चेहरे के रंगत के पीछे छुपे काले निशान न देखेगा

माना कि बदल जाऊं एक बार

चेहरे के रूखे पन को छुपा

होंठों को गुलाबी कर आऊं जो तेरे सामने

क्या इस खूबसूरती के पीछे धड़कते दिल को नहीं देखेगा

माना कि बदल जाऊं उसके लिए

पर कब तक 

कभी न कभी तो रंग उतरेगा जरूर

तो 

मैं जैसी हूं अच्छी हूं 

इस से अच्छा बनने की आस नहीं

मैं जैसी हूं खूबसूरत हूं

किसी और के जैसा बनने की आस नहीं

जो मुझे ऐसे ही चाहेगा

जो मुझे प्यार ऐसे ही करेगा

कोई तो होगा जिसे बेहतरीन की तलाश नहीं होगी

कोई तो होगा जिसे सिर्फ और  सिर्फ मेरी तलाश ही होगी

मैं जैसी हूं अच्छी हूं 

इस से अच्छा बनने की आस नहीं

मैं जैसी हूं खूबसूरत हूं

किसी और के जैसा बनने की आस नहीं

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