दुआओं में भी उसी को मांगा जो किस्मत में नहीं था
प्यार भी उससे किया जो अपना नहीं था
क्यों कहें तुमको बेवफ़ा
मुहब्बत भी उससे की जो तलबगार नहीं था।।
श्री इसी उधेड़बुन में थी कि वह कैसे उत्कर्ष तक पहुंचे या उससे बात हो पाए या उससे मुलाकात| अचानक उसके दिमाग में एक विचार आता है आज के युग मे...
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