आज उस रकीब को देख तेरी बाहों में
यूं हुए मुंतशिर हम
जब थी मुहब्बत तुमसे वह झूठ था
आज नफ़रत है तुमसे यह सच है।।
यूं हुए मुंतशिर हम
जब थी मुहब्बत तुमसे वह झूठ था
आज नफ़रत है तुमसे यह सच है।।
श्री इसी उधेड़बुन में थी कि वह कैसे उत्कर्ष तक पहुंचे या उससे बात हो पाए या उससे मुलाकात| अचानक उसके दिमाग में एक विचार आता है आज के युग मे...
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