ऐ
ज़िन्दगी
थोड़ा सब्र कर
अभी पुराने ज़ख्म तो भर जाने दे
तू तो नए ज़ख्मों लिए खड़ी हैं।
ऐ
ज़िन्दगी
थोड़ा वक्त दे
पुरानी यादों को भूलने का
तू तो नई कहानी बनाने को खड़ी हैं।
ऐ
ज़िन्दगी
थोड़ा सुकून तो रख
अभी संभल जाने दे
तू तो किनारा ही छीनने को खड़ी हैं।
ऐ
ज़िन्दगी
थोड़ा जो दिया प्यार
अभी उसे महसूस तो करने दे
तू तो जुदाई के लिए खड़ी हैं।
डॉ सोनिका शर्मा
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