Saturday, March 11, 2023

तारों वाली कोठी (भाग 2)

 श्री इसी उधेड़बुन में थी कि वह कैसे उत्कर्ष तक पहुंचे या उससे बात हो पाए या उससे मुलाकात| अचानक उसके दिमाग में एक विचार आता है आज के युग में हर कोई फेसबुक पर होता है तो क्यों ना उत्कर्ष को भी फेसबुक पर ढूंढा जाए शायद वह मिल जाए और श्री उत्कर्ष को फेसबुक खोलकर सर्च करने लगती है फेसबुक भी तो एक ऐसी दुनिया है जहां एक नाम से हजारों शख्स होते हैं ऐसा ही हुआ जैसे ही में फेसबुक पर उत्कर्ष डालकर सर्च किया उसके सामने बहुत सारे उत्कर्ष नाम के अकाउंट आ गए अब वह और परेशान हो गई कि वह उसको कैसे ढूंढे जिससे आज दिन में मिली थी इसी उधेड़बुन में एक-एक करके उसने सारे अकाउंट धीरे-धीरे चेक करना शुरू किया उन्हीं अकाउंट में से एक अकाउंट उत्कर्ष का निकला वो कहते हैं ना कि जब आप किसी चीज को शिद्दत से ढूँढ़िये तो कायनात भी आपका मदद कर देती है वही श्री के साथ भी हुआ उत्कर्ष के प्रोफाइल को देखने के बाद फिर थोड़ा पशोपेश में आ गई कि यह वही उत्कर्ष है जिससे आज बैंक में मिली थी यह प्रोफाइल और वह व्यक्ति एक है या अलग अलग फिर उसमें अपना फेसबुक अकाउंट बंद किया और फोन को किनारे रख दिया और विचार करने लगी कहीं ऐसा ना हो कि ज्यादा जल्दबाजी में मैं कहीं कुछ गलत किसी को मैसेज कर दूं और विचार करने लगी क्यों कोई रास्ता भी तो नहीं फिर उसने वापस से फोन उठाया और उस अकाउंट पर एक मैसेज टाइप किया हाय रिमेंबर मी मैं वही हूं जो आज आपको बैंक में मिली थी इतना मैसेज टाइप करने के बाद उसने उसको सेंड नहीं किया वैसे ही छोड़कर अकाउंट बंद करके मोबाइल को किनारे कर दिया अब सोचने लगी अपनी तरफ से मैसेज भेजना क्या ठीक होगा औरत का इस तरह पहल करना क्या सही होगा पता नहीं वह क्या सोचता होगा मेरे बारे में और मेरे मैसेज को देख कर पता नहीं वह मेरे बारे में क्या भावना बना ले इसी पशोपेश में काफी देर तक उलझी रही फिर उसने वापस से फोन उठाया और वापस से अपना फेसबुक अकाउंट खोला और उस मैसेज को सेंड कर दिया यह काम करते समय उसका दिल बहुत तेज धड़क रहा था बाद में विचार करने लगी उसने सही किया या गलत फिर उसने सोचा जो करना था वह कर लिया फिर सोचना कैसा सही है या गलत इसके बारे में विचार क्या करना थोड़ी देर तक वह सेंड हुए मैसेज को देखती है उसमें एक टिक लगा हुआ था मतलब मैसेज अभी उत्कर्ष तक पहुंचा नहीं है अब उसकी बेचैनी और बढ़ गई कब वह मैसेज पहुंचेगा कब देखेगा मैसेज देखने के बाद जवाब देगा कि नहीं देगा पता नहीं वह मेरे बारे में मेरी क्या इमेज बना ले अपने आप यह सब सोचते-सोचते कई घंटे बीत गए और फिर श्री अपने घर के काम में लग गई रात को जब वह सोने बिस्तर पर गई तो यूं ही अपना मोबाइल चला रही थी उसे अचानक याद आया कि उसने एक मैसेज किया था चलो उसे चेक करें कि वह डिलीवर हुआ या नहीं उसने देखा या नहीं और यह मैसेज उसी उत्कर्ष तक पहुंचा है जिसको वह भेजना चाहती थी जैसे ही देखा तो पाया मैसेज डिलीवर दो गया है दो टिक लगे हैं और नीले भी हो गए मतलब सामने वाले ने मैसेज पढ़ लिया है पर जवाब नहीं दिया अब तो वह और घबराने लगी कि लग रहा है उसने किसी गलत आदमी को मैसेज कर दिया इन्हीं बातों को सोच ही रही होती हैं कि अचानक देखती है की एक मैसेज आता है जी बिल्कुल मैं आपको पहचान गया और मैं ईश्वर का बहुत-बहुत शुक्रगुजार हूं कि एक बार वापस आप मुझे मिल गई यह मैसेज पढ़ कर श्री की आंखों में चमक आ गई चेहरे पर मुस्कुराहट यही तो चाहती थी श्री एक बार भी फिर उससे मिलना उससे बातें करना उसको देखना उसको जानना और उसको समझना यह सोचते हुए अचानक श्री को लगता है रात काफी हो गई है श्री ने सिर्फ इतना मैसेज किया कि कल बात करते हैं आज रात काफी हो गई है शुभ रात्रि उधर से मैसेज आता है शुभ रात्रि कल आपका इंतजार रहेगा यह सुनकर श्री के चेहरे पर एक बार फिर मुस्कुराहट आ जाती है श्री का मन आज उस लड़की की तरह है हो रहा है जिसमें शायद पहली बार किसी के प्रति अपने को आकर्षित होते हुए पाया है उसके बाद से मोबाइल रखकर सोचते हुए कब नींद के आगोश में चली जाती है पता नहीं चलता दूसरे दिन सुबह उठकर वह घर के काम और बाकी चीजों में व्यस्त हो जाती है तभी अचानक उसे याद आता है कि उसको तो आज उत्कर्ष को मैसेज करना था और चारों तरफ नजरें घुमा कर अपना मोबाइल ढूंढती है |

                                क्रमशः..........


   



तारों वाली कोठी (भाग 2)

 श्री इसी उधेड़बुन में थी कि वह कैसे उत्कर्ष तक पहुंचे या उससे बात हो पाए या उससे मुलाकात| अचानक उसके दिमाग में एक विचार आता है आज के युग मे...