Thursday, May 6, 2021

एक विचार

 

आज दिन में अचानक विचार आया कि यह वास्तु दोष, घर बैठे कुंडली बनवाए, कृपा रुकी वाले बाबा, ग्रह शांति वाले पंडित जी यह सब अचानक से गायब हो गए। आज कल न तो कोई कोरोना की कुंडली बना रहा न विचार रहा, न कोरोना शांति हवन बता रहा और साथ ही साथ कोई यह भी नई बता रहा कि देश पर कृपा कहां से रुकी हैं कि कोरोना न तो जा रहा न खत्म हो रहा जड़ से न ही हम सब मिल कर इसे हरा पा रहे हैं।
यह सब बाबा, दादी, पंडित, दीदी सब के सब अपनी दुकान समेट गायब हो गए अब इन्हें न तो हमारे भविष्य की चिंता न देश की चिंता और तो और कोरोना को भागने का भी कोई दावा नहीं कर रहा हैं।
बस यहीं बताना चाहती हूं कि हम खुद ही इनके बिछाए अंधविश्वास के जाल में जा कर फंसते हैं। कोई पंडित, बाबा, दादी, दीदी, मां में शक्ति नहीं कि ईश्वर का लिखा मिटा सके या उसको बदल सके ये सिर्फ हमारा आपका भ्रम हैं कि फलाने ने यह उपाय बताया हमारा काम हो गया पर ऐसा नहीं हमारा काम होना था वह उसी समय पर हुआ आपको लगा कि अमुक की पूजा से हुआ ऐसा बिलकुल नहीं यही अंधविश्वास है जो बरसों से हमें खोखला किए है।
अब सब खुद सोचिए पिछले छः आठ महीने से आपको किस बाबा पंडित मौलवी की जरूरत पड़ी या किस जगह के चक्कर लगाए बिना आपका आठ महीना न कटा हो।
यह सिर्फ हमारे बनाए भ्रम है अंधविश्वास है जिन्हे हमें खुद दूर करना हैं। कोई किसी की नियति नहीं बदल सकता हैं। जो कर्म किए है उनका फल भोगना ही है बस यही नियति हैं। ईश्वर ही आपका रक्षक है उस पर भरोसा करिए यहां तक लाया तो आगे भी ले जाएगा। वैसे भी ईश्वर को हम परमपिता परमेश्वर मानते है फिर कैसे कोई पिता अपने ही बच्चों का गलत कर सकते हैं।
इसलिए अंधविश्वास से दूर रहिए ये पंडित मौलवी दादा दीदी बाबा और मां से दूर रहिए ईश्वर पर अटूट आस्था रखिए जो कर्म किए है वह भुगतने हैं इस में आपकी कोई मदद नहीं करेगा।
अपने इष्ट पर पूर्ण विश्वास रखिए जो आपके लिए बेहतरीन होगा वह वहीं देगा। जितना अंधविश्वास के पीछे भागोगे, भटकोगे उतना ही परेशान होगे और अपने दुःखों को बढ़ा लोगे।
समय जब अच्छा नहीं रुका तो खराब भी नहीं हो रुकेगा। अभी थोड़ा सब्र करना हैं जो हो रहा है ईश्वर की मर्जी और अपने कर्मों का भुगतान समझ कर शांति से रहिए। ईश्वर सर्वोपरि है उसके आगे हम कुछ भी नहीं। नियति को बदल नही सकते शांति से स्वीकार करने में भलाई हैं।
अभी बस इतना ही कर सकते है हम एक सामान्य मनुष्य की भांति व्यवहार करें जितना संभव हो सबकी सहायता करें सबके कष्टों को दूर करें, लोगों को सांत्वना दें उनकी तकलीफ़ को सुन कर बांटे यही सबसे बड़ा पुण्य हैं अगर हम किसी की भी किसी भी रूप में सहायता कर सकते है तो यहीं बहुत हैं।
ईश्वर से सम्पूर्ण सृष्टि के लिए प्रार्थना करें हमारे एवं सभी के कष्टों को हरने की प्रार्थना करें एवं सभी के लिए मंगल कामना करें।

डॉ सोनिका शर्मा

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